शुक्रवार, 31 मार्च 2017

पद्म श्री डॉ. नरेंद्र कोहली के सत्य की खोज पर विचार

आप किसी को गुरु माने से ज्यादा आवश्यक है योग्य गुरु आपको शिष्य मानें.. आध्यात्मिक जगत में स्वामी गंगाराम जी ने ये सौभाग्य दिया तो लेखक के तौर पर साहित्य जगत में वर्तमान दौर के सबसे प्रतिष्ठित नाम और पद्म श्री से सम्मानित किए गए डॉ. नरेंद्र कोहली का प्रेम और आशीर्वाद सदा मिलता रहा है.. सत्य की खोज किताब की शुरुआत में कुछ अध्याय उन्हें भेजे थे। जिन्हें उनका स्नेह प्राप्त है वो जानते हैं कि उनकी हास्य विनोद की क्षमता अप्रतिम है। उन्होंने कहा बड़ी जल्दी वो काम कर रहे हो जो हमें करना चाहिए। फिर कहा कुछ लिखकर भेजूंगा। वो सिर्फ औपचारिकता में किसी आलेख या पुस्तक को नहीं पढ़ते बल्कि पूरा समय देकर गंभीरता से उस पर विचार करते हैं। ऐसी ही अपेक्षा उनकी अपनी पुस्तकों को लेकर भी रहती है। उन्होंने जो मेल कुछ दिनों बाद भेजा वो भी किसी बड़े सम्मान से कम नहीं था। उसे अपने पास संजोकर रखा है। आज जब उनके शुभचिंतक उन्हें पद्म श्री मिलने की खुशियां मना रहे हैं.. उनके मेरे लिए कहे गए ये शब्द और भी अहम लग रहे हैं। अपनी बढ़ाई किस को पसंद नहीं और फिर वो डॉ. कोहली के शब्दों में हो तो क्या बात। हम ही क्या हमारे पिताजी भी नरेंद्र कोहली जी के साहित्य को अपनी धरोहर समझते रहे हैं और जब उनके शब्दों में अपने किसी लेखन की तारीफ मिले तो अहसास क्या होगा, शब्दों में बयां करना मुश्किल होगा। राज्य सभा टीवी के कार्यक्रम शख्सियत में उनके बारे में मुझसे भी विचार लिए गए और इस कार्यक्रम में उन्होंने जो बात मेरे बारे में कही वो भी दिल को छू लेने वाली थी.. ये कार्यक्रम तो इंटरनेट पर आपको मिल जाएगा.. फिलहाल उनका भेजा वो मेल साझा कर रहा हूं जो उन्होंने सत्य की खोज की शुरुआत में मुझे लिख कर भेजा था।