बुधवार, 28 जून 2017

अद्भुत, अविस्मरणीय, महाकाल की कृपा से हुई एक मुलाकात का संक्षिप्त संस्मरण

बापू का हस्त लिखित असली पत्र, प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू के लिखे पत्र, सुभाष बाबू की उज्जैन में ली गई दुर्लभ तस्वीर ये सारी चीजें एक साथ देखने को मिल जाएं तो आपका बल्लियों उछल जाना लाजिमी है।
बापू (महात्मा गांधी) द्वारा लिखे गए पत्र की मूल प्रति

मेरे साथ भी आज यही हुआ। जब एक बड़े सरकारी अधिकारी के कैबिन में एक अनौपचारिक मुलाकात के लिए घुसा तो हाथ में अपनी दो किताबें थी। लेखक हूं, पत्रकार हूं, ये हूं वो हूं का बहुत सारा पानी चढ़ा हुआ था। थोड़ी देर ही हुई कि सारा पानी उतर गया। बैठने के बाद एक किताब देखकर हैरान रह गया। 

भगत सिंह की जेल डायरी, ये मेरे पिता की किताबों के कलेक्शन में बहुत सालों से है। जिस शख्स से मिलने गया था जानता भी नहीं था कि वो इसके रचयिता हैं। यही नहीं अब तक करीब साठ किताबें लिख चुके हैं। भगत सिंह और स्वामी विवेकानंद पर लिखी गई उनकी वृहद रचनाएं ज्ञानपीठ लगातार छाप रहा है। धर्मयुग के लेखक तो रहे ही साथ ही जिस जमाने में लोग मीडिया नहीं जानते थे तब वे रशिया और जापान के प्रतिष्ठित अखबारों से जुड़ चुके थे।

राजेंद्र बाबू (राजेंद्र प्रसाद जी) द्वारा लिखे
गए पत्र की मूल प्रति

ये सब तो एक शख्स को शख्सियत बना ही देता है लेकिन जैसे ही आप जानते हैं कि वो एक समृद्ध विरासत और धरोहर को आगे बढ़ा रहे हैं तो उत्साह दो गुना हो जाता है। जब जाना कि देश की आजादी का दिन और वक्त उनके पिता ने तत्कालीन बड़े नेताओं के बीच बैठकर निकाला था तो खुद के सौभाग्यशाली होने का और अनुभव हुआ। सिर्फ बातों तक ही बातें सीमित नहीं रहीं बल्कि वो सारा पत्राचार भी मेरे सामने था जो बापू, राजेंद्र बाबू, मोरारजी और कई अन्य बड़े नेताओं और उनके पिता के बीच हुआ था। कालीदास की धरोहर और विक्रमादित्य की शान को बनाए रखने और बचाए रखने में भी जिनका अविस्मरणीय योगदान था। 
मैं बात कर रहा हूं आधुनिक युग के आर्यभट्ट कहे जाने वाले महान ज्योतिष पं. सूर्य नारायण व्यास जी की और आज मुलाकात हुई उनके यशस्वी और अत्यंत ओजवान पुत्र राजशेखर व्यास जी से। 
आधुनिक युग के आर्यभट्ट पं. सूर्यनारायण व्यास जी


गागर में सागर वाली मुलाकात थी ऐसा लगा कि आज, महाकाल के उपासक रहे पं. सूर्य नारायण व्यास जी का ही आशीर्वाद मिल गया हो। पिताजी को फोन पर जानकारी दी तो ये जानकर और अच्छा लगा कि पिताजी खुद पं. का आशीर्वाद लेने कई बार उज्जैन जा चुके थे। आज की पीढ़ी को ऐसे लोगों के बारे में ज्यादा से ज्याद जानने की आवश्यकता है उम्मीद है मैं इसमें अपना कुछ योगदान दे पाऊंगा। वाह अद्भुत अविस्मरणीय। 

पं. राजशेखर व्यास जी से आशीर्वाद लेते हुए                  पं. जी पर डाक टिकट जारी करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री
                                                                    श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी