बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

मां का अपमान कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं हम?


जो लिख रहा हूं उसके लिए माफ कीजिएगा.. गुस्से में हूं इसीलिए लिख रहा हूं.. पत्रकार हूं इसीलिए इतना सोचना पड़ा.. हो सकता है ये पोस्ट कई लोगों को आहत करे... ये लिखना इसीलिए जरूरी है क्यूंकि किस तरह कि मानसिकता कथित बुद्धिजीवियों के बीच पल रही है उसका अंदाजा हो पाया। उनका समर्थन करने वाले अंधे बुद्धिजीवियों को भी ये समझऩा जरूरी है कि वे बिना जाने किन लोगों के समर्थऩ में हैं.. सबसे पहले मां दुर्गा मुझे माफ करें.. मेरे नाना ने उन्हीं कि सेवा की और मैं मानता हूं कि आज मैं जो कुछ भी मां भवानी के ममता से ही हूं.. अपनी माता को में देवी के साक्षात रूप में देखता हूं और न चाहते हुए भी पूरे गुस्से और आंखों में आंसूओं के साथ इस पोस्ट को लिख रहा हूं... कोई ऐसा व्यक्ति इस पोस्ट पर कंमेंट न करे जो मेरी भावनाओं से और खिलवाड़ हो.. स्मृति ईरानी ने सुगत राय, सुगत बोस और राहुल गांधी को सड़कों पर इस पर बहस करने के लिए कहा है.. अगर सचमुच कोई आता है तो उसे जूतों से मारा जाना चाहिए बहस दूर की बात है..
स्मृति ईरानी ने जेएनयू के SC-ST, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग छात्रों की तरफ से 4 अक्टूबर 2014 को जो बात पोस्ट की गई और प्रचारित की गई उसका जिक्र किया। अंग्रेजी में होने की वजह से कई लोग समझ नहीं पाए होंगे.. समझऩा जरूरी है.. हम देश की जड़ों पर ही नहीं.. लोगों के दिलों पर हमला करने वालों के बीच में है... स्मृति ईरानी के शब्दों में
''... मुझे ईश्वर माफ करें इस बात को पढ़ने के लिए... दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा विवादास्पद और नस्लवादी त्योहार है... जहां प्रतिमा में खूबसूरत दुर्गा मां को काले रंग के स्थानीय निवासी महिषासुर को मारते दिखाया जाता है... महिषासुर एक बहादुर, स्वाभिमानी नेता था... जिसे आर्यों द्वारा शादी के झांसे में फँसाया गया... उन्होंने एक सेक्स वर्कर का सहारा लिया... जिसका नाम दुर्गा था... जिसने महिषासुर को शादी के लिए आर्कषित किया और 9 दिनों तक सुहागरात मनाने के बाद उसकी हत्या कर दी...ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? कौन मुझसे इस मुद्दे पर कोलकाता की सड़कों पर बहस करना चाहता है?"

मुझे आप चाहे जो कहें मैं आपको स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस से बड़ा नहीं मानता... परमहंस तो मां को साक्षात देखते थे। विवेकानंद उसी चाहत में गए और बहुत कुछ पाया.. अपनी बातों का निचोड़ लिखते हुए कहा था... इस देश की ताकत इसकी जड़ें हैं.. संस्कृति है.. भक्ति है और ईश्वर के प्रति अगाध प्रियता और श्रद्धा है जब तक जड़ों पर हमला नहीं होगा कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा.. लेकिन ये जड़ों पर नहीं हमारे दिलों पर हमला है.. कोई चोरी चुपके भी ये कर रहा है तो वो माफी के काबिल नहीं... सरकार को सिर्फ इनके बारे में जानकारियां ही सामने नहीं रखनी चाहिए बल्कि इन जानवरों को बाहर निकालना चाहिए और कड़ी सजा देनी चाहिए.. मां मुझे माफ करना... ऐसे गंदे शब्द किसी और के ही क्यूं न हों मुझे यहां लिखने पड़े.. पर मैं जानता हूं तुम दयालू हो.. करूणामयी हो.. ममता से भरी हुई हो.. जब इन नीचों को माफ कर दिया तो मुझे क्यूं नहीं करोगी... बस ...

4 टिप्‍पणियां:

  1. I am going to share this post all through my contacts. Its true anger of common follower of Godess Durga. No freedom of expression allows them to abuse our Goddess and source of energy. I pray MAA durga will clean their mind with all kind of dirt.

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  2. प्रवीण जी, मैं आप से सहमत हूं। मैं नहीं जानता था कि लोग इस प्रकार की अपकथाएं भी बना रहे हें, ताकि लोगों के मन को ही नहीं , देश की अस्मिता और आस्‍था को भी भंग करें। इस प्रकार की बातें करने वालों से पूछना होगा कि ऐसी अपकथाएं बनाने और ऐसी मान्‍यताएं फैलाने के पीछे सिवाय घृणा फैलाने और देश और धर्म के शत्रुओं को बल देने के सिवाय और कोई प्रयोजन भी है। हां, वे अपनी निकृष्‍ट मानसिकता का प्रदर्शन अवश्‍य कर रहे हैं। हिंदुओं के मन को आहत करने का यह ऐसा प्रयत्‍न है,जैसा विदेशी और विधर्मी आक्रमणकारियों ने हमारे मंदिर तोड़ कर किया था या शायद उससे भी अधिक घृणित प्रयत्‍न है। यह अक्षम्‍य है। ऐसी अपकथाएं फैलाने वाले लोगों के लिए समाज के मन में प्रबल विरोध, क्रोध और देश के संविधान में दंड का प्रावधान होना चाहिए। - नरेन्‍द्र कोहली

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  3. Dhanyawad Tiwari Ji, Maa ke apman karne walon ka paksha lene wale Rajdeep, Barkha & Rana Ayyub jaise prestitutes ko mai bhi joote marne ke liye taiyyar hoon..

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