सोमवार, 17 अक्टूबर 2016

मुहर्रम के बाद भी मातम क्यों ?


मुहर्रम तो मातम का दिन है ही लेकिन इसके बीत जाने के बाद भी कई घरों में मातम पसरा हुआ है। ये घर उन परिवारों के जिनके अपनों को दुर्गा विसर्जन के दौरान बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। अब हिंदू संगठनों का आरोप है कि ममता के राज में 'सोनार बांग्ला बर्बाद बांग्ला 'बन गया है| वैसे मुहर्रम पर इस तरह की हिंसा और उसमें हिंदुओं का मारा जाना कोई नई बात नहीं है वामपंथियों के राज में भी हिन्दुओं की दुर्दशा ही होती थी, लेकिन अब हिंसा के शिकार लोग और उनके परिजन ये तक कहने से नहीं चूक रहे हैं कि ममता ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वो सब अत्याचार किये है जो कभी मुस्लिम अक्रान्ताओ के राज में भी नहीं किये गए थे|
इस साल दुर्गा पूजा पर ऐसे प्रतिबन्ध लगाये गए जो पहले कभी नहीं लगाए गए थे| मा. उच्च न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद हिन्दू समाज ने चैन की साँस ली, लेकिन मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के द्वारा भड़काए गए लोगों ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में हिंसा का अभूतपूर्व तांडव किया| विश्व हिन्दू परिषद ने तो यहां तक दावा किया है कि कई जगहों पर मां दुर्गा  के पूजा पंडालो में गौमांस फेका गया और प्रतिमाओं को खंडित किया गया। हांलाकि इससे जुड़ी खबरें मीडिया में वैसे भी नहीं आती हैं। ये एक संवेदन शील मुद्दा माना जाता है लेकिन इस संवेदनशीलता की आड़ में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
लोग कई तस्वीरें और वीडियो तो साझा कर रहे हैं लेकिन सही तस्वीर तक सामने नहीं आने दी जा रही है। अगर सचमुच यही स्थिति बनी हुई है तो ये भी तय है कि कोर्ट की फटकार सुनने वाली सरकार और उसका प्रशासन ऐसी खबरों को बाहर आने ही नहीं दे रहा होगा। हिन्दू मंदिरों को तोडे जाने की घटनाओं का दावा भी विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी कर रहे हैं। ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां मकानों और दुकानों पर हमले कर उन्हें लुटा गया बाद में उन्हें जला दिया गया और हिन्दुओ पर जानलेवा हमले किये गए| बांग्ला देश में हिंदुओं की हालत किसी से छिपी नहीं है। वहां की सरकार ने अपने यहाँ हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने का भरोसा दिलाया लेकिन ये सिर्फ दिखावा ही साबित हुआ है। हद तो ये है कि हमारे अपने देश के एक राज्य पं. बंगाल में भी बांग्लादेश जैसे हालात दिख रहे हैं और राज्य सरकार पर हिंसा करने वालों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। आरोप ये लग रहे हैं कि पुलिस हिंसा करने वालों को रोकने की जगह पीड़ित हिन्दुओं पर ही मामले दर्ज कर रही है|
बंगाल में पहले भी कई जगह हिन्दू समाज दुर्गा पूजा नहीं कर पता था| परन्तु इस बार सब सीमाएं पार हो गयी| बंगाल के कई स्थानों पर हिन्दूओं पर वो अत्याचार हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था| वहां से ठीक ठीक आंकड़े तो नहीं मिल पाए लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने औपचारिक रूप से जो आंकड़े सामने रखे उनके मुताबिक मालदा जिले के कालिग्राम, खराबा, रिशिपारा, चांचल; मुर्शिदाबाद के तालतली, घोसपारा, जालंगी, हुगली के उर्दिपारा, चंदननगर, तेलानिपारा, उर्दिबाजार; नार्थ २४ परगना के हाजीनगर, नैहाटी; प. मिदनापुर गोलाबाजार, खरकपुर, पूर्व मिदनापुर के कालाबेरिया, भगवानपुर, बर्दवान के हथखोला, बल्लव्पुर्घाट, कतोआ; हावड़ा के सकरैल, अन्दुलन, आरगोरी, मानिकपुर, वीरभूम के कान्करताला तथा नादिया के हाजीनगर जैसे इलाकों में कई जगहों पर हिन्दुओ पर अमानवीय अत्याचार किये गए| कई इलाके ऐसे भी हैं जहां ११ अक्टूबर से शुरू हुई हिंसा आज भी नहीं रुक पाई है|

तुष्टिकरण की राजनीति ने देश में 'सेक्युलर माफिया' को जन्म दिया है। ममता बनर्जी ने जिस तरह का बर्ताव दुर्गा पूजा के दौरान किया है उससे साफ है कि वो मुस्लिम मतदाताओं की भगवान बनने के लिए हिंदुओं पर होने वाली हिंसा को नजरअंदाज करने से भी गुरेज नहीं कर रही। हमारे देश में ऐसे मुददे पर बात करना या लिखना तक संवेदनशील मानान जाता है लेकिन इस आतंक की आग पीछे असली वजह होती है तुष्टिकरण की आग को भड़काया जाना| ये आग इतनी भयानक है कि इसे भड़काने वाले भी इससे नहीं बच पाएंगे।  ममता बनर्जी नहीं भूली होंगी कि किस तरह कोलकाता के एक मौलवी ने मांगे पूरी न होने पर उन्हें कैसे धमकाया था| अभी कालिग्राम और चांचल में हिंसा को रोकने वाले पुलिस वालोँ और जिलाधीश को किस प्रकार पीटा गया  और पुलिस स्टेशन को लूट लिया गया,  ये भी हिंसा करने वालों को मिली खुली छूट की तरफ इशारा करता है।

ऐसा नहीं है कि तुष्टिकरण की राजनीति से उपजी इस हिंसा का शिकार सिर्फ बंगाल के हिंदू हो रहे हैं। इसी तरह का दृश्य बिहार में भी दिखाई दे रहा है| चंपारण के  पुरकालिया, रक्सौल, सुगौली, किशनगंज, मधेपूरा, गोपालगंज, पिरो [आरा ], मिल्की, भागलपुर गाँव, औरंगाबाद के वरुण, खोगीय व पटना के बस्तियारपुर जैसे बीसियों गावों में इसी प्रकार के अत्याचार हो रहे है। मोतिहारी-चम्पारण के इलाके में दुर्गा विसर्जन के दौरान निकले उत्सव के दौरान गोलीबारी की जानकारी मुझे खुद एक स्थानीय पत्रकार ने दी। ये खबरें मीडिया में इसीलिए नहीं दिखाई जा रही क्यूंकि इन्हें संवेदनशील कहकर दबा दिया जाता है। एडवाइजरी जारी कर दी जाती है। उस वक्त प्रशासन मुस्तैद क्यूं नहीं होता जब दुर्गा माता की पूजा बाधित की जाती है?| नितीश का 'सुशासन ' आज माता के भक्तों के लिए दुशासन बन गया है| आज भी बिहार में कई स्थानों पर मजहब के नाम पर लगाई गई ये आग ठंडी नहीं हुई है| हिंसा करने वालों पर कार्यवाही करने में अक्षम नितीश सरकार पर पीड़ित हिन्दुओ पर ही झूठे मामले दर्ज कर खानापूर्ति करने के आरोप भी लग रहे हैं

बात यहां तक बिगड़ चुकी है कि अब हिंदू वादी संगठन ये कह रहे हैं कि यदि कथित सेक्युलर सरकारें अपने संवैधानिक कर्तव्यो को पूरा नहीं करेगी तो हिन्दू को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए स्वयम खड़ा होना पड़ेगा कर्नाटक में एक हिन्दू कार्यकर्ता की दिन दहाड़े हत्या ने भी देश को स्तब्ध कर साबित करने की कोशिश की है कि मजहबी सियासत को किस तरह से एक बार फिर हवा दी जा रही है।

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