साध्वी प्रज्ञा को भी क्लीनचिट दिए जाने की खबर आ
गई है अब ये बहुत हद तक साफ होता जा रहा है कि एनआईए की जांच में कई खामियां रही
हैं। अपनी ही थ्योरी पर अब ये कहना की पुख्ता सबूत नहीं है ये जताता है कि इस
थ्योरी में कई और कमियां सामने आएंगी। सबसे पहले मैंने अपने एनआईए सूत्रों से इस
खबर को कन्फर्म किया। कई ऐसे साथी जो खुद भी जांच पड़ताल की कमियों पर पहले भी
बोलते रहे हैं, का कहना था कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पहले ही
नहीं थे। एक बाइक के आधार पर उनके खिलाफ सभी आरोप लगाए गए थे। साध्वी प्रज्ञा ने
गुस्से में अलग अलग मौकों पर क्या कहा इसी आधार पर उनके खिलाफ धमाकों की साजिश
रचने की बात कही गई है। पहले दर्ज की गई चार्ज शीट में एक जगह ये भी कहा गया कि
साध्वी प्रज्ञा की बहन से पूछताछ हुई थी। इस पूछताछ में उन्होंने धमाकों के बाद
टीवी पर चल रही खबरों पर साध्वी प्रज्ञा की प्रतिक्रिया के बारे में बताया। लोगों
की लाश देखकर साध्वी की बहन की आंखों में आंसू आ गए लेकिन साध्वी ने कहा की जो
जैसा बोएगा वैसा काटेगा। इसी तरह अलग अलग मौकों पर किसी के सामने साध्वी ने कुछ
कहा के आधार पर ये पूरी चार्ज शीट लिखी गई। इस चार्ज शीट में साध्वी प्रज्ञा के
उग्र भाषणों का जिक्र किया गया। ये बातें तो लोग जानते हैं जो नहीं जानते वो ये कि
इस पूरी जांच पड़ताल के दौरान साध्वी प्रज्ञा पर क्या बीती?
साध्वी प्रज्ञा के इकबालिया बयान को आधार बनाया
गया। वहीं मानवाधिकार आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक साध्वी प्रज्ञा ने ये कहा कि
उनके साथ जांच के दौरान निर्ममता की सारी हदें पार कर दी गईं। इस खबर के सामने आने
के बाद मैंने साध्वी प्रज्ञा के वकील जे. पी. शर्मा से बात की। उन्होंने कहा हम
पहले से ही जानते थे कि इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट मिलेगी। साथ ही
उन्होंने वो आप बीती भी बताई जो खुद साध्वी प्रज्ञा ने उन्हें सुनाई थी। साध्वी ने
उनसे कहा था कि उनके साथ पूछताछ में अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उन्हें एक
खंभे से बांधकर पीटा गया। उनके शिष्यों के हाथों उन्हें चमड़े के बेल्ट से पिटवाया
गया। उनके भगवा वस्त्रों को उतारकर उन्हें जबरदस्ती दूसरे कपड़े पहनाए गए।
उन्होंने तो यहां तक कहा कि वो भगवा वस्त्रों में बेहोश हुई और दूसरे कपड़ों में
होश में आई। साध्वी प्रज्ञा की आपबीती वहीं जानती हैं लेकिन अब कई गवाहों के अपने
बयानों से पलटने के बाद ये बात साफ हो गई है कि बयान दर्ज करवाने के लिए
ज्यादतियां तो की गई हैं।
अब एनआईए खुद कह रही है कि उनके खिलाफ पुख्ता
सबूत नहीं ऐसे में एक बार फिर ये सवाल गहरा रहा है कि क्या भगवा आतंकवाद का हौव्वा
बनाने के लिए इस पूरे मामले को तूल दिया गया? सबसे अहम सवाल ये भी है कि बिना सबूतों के
साध्वी प्रज्ञा पर अब तक हुए अत्याचारों का जिम्मेदार कौन है? इस बीच मेरी बातचीत
कर्नाटक एफएसएल के पूर्व प्रमुख बी एम मोहन साहब से भी हुई उन्होने फिर दोहराया कि
नागौरी भाईयों ने अपने नार्को टेस्ट में समझौता और मालेगांव धमाकों की बात स्वीकार
की थी। नार्को की बातचीत कितनी बड़ी सबूत हो सकती है के जवाब में उन्होंने कहा कि
ये बहुत अहम होती है यदि इसके आधार पर सबूत जुटाए जाएं तो। यानि जो बातें नार्को
में कही गई उसके आधार पर यदि सबूत जुटाए जाते तो शायद कुछ और जानकारियां आ सकती
थी। खैर अभी ये कहना मुश्किल है कि कौन से थ्योरी सच है और कौन सी झूठ लेकिन एक एक
कर एनआईए की थ्योरी के किरदारों को क्लीन चिट मिलना इस ओर तो इशारा कर ही रहा है
कि जांच में सबकुछ ठीक नहीं था।
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