गुरुवार, 3 अप्रैल 2014
भविष्य कोई और क्यों बताए जब मैं इसे बना सकता हूं?
"जो व्यक्ति ज्योतिषियों से भविष्य पूछता है, वह अनजाने में ही भावी घटनाओं के आंतरिक आभास को खो देता है, जो ज्योतिषियों की भविष्यवाणी कथन से हजार गुना सटीक होता है।" वॉल्टर बेंजामिन।
मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता कि ज्योतिष शास्त्र कितना सही है कितना गलत या सचमुच कोई भविष्य बता सकता है या नहीं। मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि भविष्य को जानने की अपेक्षा के उद्गम के मूल में क्या है? आपने आमतौर पर सुना होगा बड़े-बड़े कामयाब और नामचीन लोग भी ज्योतिषियों की शरण लेते हैं। साफ है सिर्फ करियर या शोहरत या आने वाले कल में जीवन कुछ और वैभवशाली हो या कुछ और फायदा हो जैसी बातों तक भविष्य का ये रोमांच सीमित नहीं होता है। जीवन में क्या और रोमांच होंगे, क्या चिंताएं होंगी, किस तरह की परेशानियां या प्राप्तियां हो सकती है के साथ ही वर्तमान की वो बातें जिन पर वश नहीं चल रहा है का क्या निराकरण होगा जैसी जिज्ञासाएं इस विषय के पल्लवित और पुष्पित होने में सहायक रही हैं। आगे बढ़ने से पहले मैं एक बार फिर ये साफ कर देना चाहता हूं कि ज्योतिष की सत्यता और असत्यता से इस पोस्ट का कोई लेना देना नहीं है। उसकी आवश्यक्ता के मूल पर हम विचार कर रहे हैं। हाल के दिनों में एक बढ़िया किताब पढ़ने को मिली, द लक फैक्टर। लक या किस्मत एक ऐसी विषय वस्तू है जिसके बारे में हम सब जानते तो हैं लेकिन उसे कभी समझ नहीं पाते। उपरोक्त किताब में इस विषय पर जोर दिया गया है कि दरअसल भाग्य हमारे वश के बाहर नहीं होता, उसे काबू किया जा सकता है और उसे मनचाहे ढंग से संवारा भी जा सकता है। एक संत भी हाल के दिनों में संपर्क में आए उनसे इस विषय पर चर्चा हुई तो उन्होंने भाग्य की आवश्यक्ता और अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगाया। बात में दम भी था, आखिर भाग्य की आवश्यक्ता क्या है पहले इस पर विचार करिए, आप भाग्यशाली हैं या नहीं इसे बताने और आपको भाग्यशाली बनाने का धंधा तो बाद में सामने आता है। भाग्य के मूल में शामिल है अप्राप्त परिस्थिती का चिंतन। काश मैं ऐसा होता, इसके यहां पैदा होता, दादाजी या पिताजी ऐसा कर देते, मेरी किस्मत उस जैसी क्यूं नहीं? अलग-अलग व्यक्तित्वों में इन्हीं प्रश्नों का पैमाना और किरदार बदलते रहते हैं पर मूल में वही होता है काश में ऐसा होता। अब काश में ऐसा होता को सचमुच कर देने का कोई दावा मात्र भी कर दे तो सारे भाग्यवादी उस महानुभाव की प्रोफेशनल फीस देने से कतराते नहीं है। बाकी का काम हमारे सम्मानित टीवी चैनल्स करते हैं, जहां इन्हीं भविष्यवक्ताओं के वैतनिक कर्मचारी, दी गई सलाहों से अपने जीवन में आए बदलाव का ढिंढोरा पीटते हैं और कुछ और ग्राहक पकड़ में आ जाते हैं। आज ये धंधा जमकर फल फूल रहा है। टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़े हुए मुझे भी लंबा समय हो गया है। टीआरपी देने वाले शो होने की वजह से मैंने टीवी पर जमकर इन शोज को चलते देखा है और कई ज्योतिषियों की हकीकत को समझा भी है। पिछले दस सालों में तो जैसे इन भविष्यवक्ताओं की बाढ़ सी आ गई है। टीवी पर चमकने में वाले कई ज्योतिषियों को मैने खुद पनपते हुए देखा है और कुछ को मैं बहुत निजी तौर पर जानता हूं। कुंडली दिखवाने और भविष्य जानने की मेरी अनिच्छा को देखते हुए उन्होंने मुझे अपने धंधे से जुड़े कुछ पहलू भी बताए। निजी संबंधों का मान रखते हुए इन्हें तो मैं सार्वजनिक नहीं कर पाउंगा लेकिन हां इतना कह सकता हूं कि कई अच्छे ज्योतिषि मनोवैज्ञानिक होते हैं। किसी व्यक्ति के हाव-भाव, वर्तमान स्थिति, सामान्य ज्ञान, बात-चीत आदि से उस व्यक्ति के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं। वॉल्टर बेंजामिन की जो बात मैंने पहले लिखी उसके मुताबिक इन लोगों के चक्कर में रहने वाले लोग भावी घटनाओं के आंतरिक आभास के साथ-साथ अपना मनोबल भी खओ देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है अब उनके हाथ में कुछ है ही नहीं। खैर इस बात की पुष्टि के लिए बहुत लंबा ब्लॉग लिखा जा सकता है लेकिन अपने द्वारा तय की गई शब्द सीमा तक पहुंचने के बाद मैं भविष्यवक्तओं के चक्कर लगाकर चक्कर में आने वालों से कुछ कहना चाहता हूूं। अपनी किताब 48 LAWS OF POWER में लेखक ROBERT GREENE ने इस बात पर जोर दिया है कि दूरंदेशी बहुत जरूरी होती है। हम आज में रहने और जीने की फिलॉसफी तो बहुत पढ़ते सुनते रहे हैं लेकिन हमें परेशानी अपने कल को लेकर ही होती है। दूसरी अहम बात हम सब कुछ अभी पाना चाहते हैं। जो चीज किसी को सालों में मिली है जो हुनर किसी को सालों के रियाज के बाद मिला है वो हमें आज चाहिए यानि सांई बाबा की तस्वीर पर लटका लेने से कुछ नहीं होगा उस पर लिखे उनके महान संदेश सबुरी या सब्र को भी समझना होगा। अगर आज शांति से बैठकर हम कल की योजना बनाने तक सीमित न रहकर उस दिशा में कुछ करना शुरू कर दें तो अभी से आपकी किस्मत के पन्ने पर किसी अलौकिक शक्ति की कलम चलनी शुरू हो जाएगी। आप अपने भविष्य वक्ता खुद बन सकते हैं बशर्ते अपने सपनों को अपने सामने स्पष्ट रखें और उन पर क्या काम आप रोज करते हैं उसे रोज़ किसी डायरी में नोट करते जाएं। ये इसीलिए भी महत्वपूर्ण है कि ऐसा करने से आपने अपना दिन, महिना या साल कैसे बर्बाद किया का स्वलिखित दस्तावेज आपके पास होगा। आप अपने दुर्भाग्य पर किसी अदृश्य शक्ति को दोष नहीं दे पाएंगे और अगर आप थोड़ा भी काम रोज करते हैं तो आपको आगे की सीढ़ियां स्वतः मिलती जाएंगी, साथ है आपके भाग्य निर्माण का श्रेय भी कोई और भविष्यवक्त नहीं ले जाएगा। तमाम टोटके और मेहनत तो वो भी करते हैं जो ज्योतिषाचार्यों के पास जाते हैं। जरा कभी अपने टोटके और काम खुद तय करके देखिए कितना मजा आएगा और सेल्फ मोटिवेशन के लिए किसी गुरू को पढ़ने की जरूरत भी न होगी क्योंकि आप अपने गुरू स्वयं ही होंगे। तो बनाइए अपना भाग्य और लिखिए अपनी कहानी खुद।
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बहुत सही कहा सर आपने आपका लेख पढकर अच्छा लगा
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