शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

आप कुछ भूल गए हैं।


आप कार से या अपने किसी भी वाहन से कहीं जाते हैं तो गंतव्य पर पहुंच कर इंजन बंद करना नहीं भूलते। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो ईंधन की बर्बादी होगी नुकसान होगा। बिजली के तमाम उपकरण चाहे वो पंखा हो, एसी हो, माइक्रोवेव हो, जब इनका इस्तेमाल हो जाता है तो आप स्विच ऑफ कर देते हैं। अगर भूल जाते हैं तो बिजली की बर्बादी होती है और नुकसान होता है। नल के नीचे लगी बाल्टी भर जाने के बाद नल चलता छोड़ देना पानी की बर्बादी करता है। ऐसा ही आप दुनिया में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज के बारे में देखते हैं कि उस चीज का उपयोग हो जाने के बाद आप उसके क्षय को रोकने के लिए उसे बंद कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके पैदा होने के बाद से लेकर आज तक आप कुछ बंद करना भूल गए हैं। इस भूल की वजह से ऊर्जा की बर्बादी हो रही है। आपकी शांति, आनंद, प्रज्ञा, ओज, सामर्थ्य, ज्ञान, प्रेम सबकी बर्बादी हो रही है और जीवन का भारी नुकसान हो रहा है।
हां, ये सच है कि आप जीवन उपभोग की सारी वस्तुओं को इस्तेमाल करने के बाद उन्हें विराम देते हैं। यहां तक की अपने शारीरिक परिश्रम से थककर आप शरीर को भी विश्राम देते हैं लेकिन आपका मस्तिष्क आज तक विराम को प्राप्त नहीं हो पाया है। आप उसे इस्तेमाल करने के बाद बंद करना भूल गए हैं। यही वजह है कि हर बीतते पल के साथ आप उसे कमजोर करते जा रहे हैं। नई चीजों के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं। बच्चों की तरह चंचलता, सीखने की ललक को खोते चले जा रहे हैं। जाहिर सी बात है इसे विराम नहीं मिलेगा तो ये अपने निर्धारित कामों को ठीक से नहीं कर पाएगा। हम पेट्रोल की कीमत जानते हैं इसीलिए गाड़ी फौरन बंद कर लेते हैं। हम बिजली के बिल से डरते हैं इसीलिए सोच समझकर बिजली का उपयोग करते हैं लेकिन जरा गंभीरता से विचार करिए आप जीवन ऊर्जा और विचार शक्ति का क्या करते हैं?
विश्वास जानिए इस बर्बादी की जितनी कीमत आपको चुकानी पड़ती है वो इन दुनियावी खर्चों और बर्बादियों से कहीं ज्यादा है। आप उस ईश्वरीय देन को क्षीण करते जाते हैं जो आपको सत्य के दर्शन करवाती है। आनंद आपके भीतर है, आप ज्ञानपुंच के तौर पर ही मानव बने हैं। आपके इंद्रिय ज्ञान आपको योगवित बनाने के लिए हैं। जैसे जैसे आपकी विचारशक्ति की बर्बादी होती जाती है आप इन सब बातों को भूलते जाते हैं जो आप के भीतर बीजरूप में मौजूद हैं। एक समय ऐसा भी आता है जब ये इतनी क्षीण हो जाती है कि आप इस बात को स्वीकार ही नहीं करते हैं और जिस भी परिस्थिती में जैसा भी जीवन जी रहे होते हैं उसे ही भूलवश सत्य मान बैठते हैं। इसी समय से आपकी असीमित ऊर्जा सीमा के बंधनों में बंधकर आपको तुच्छ कर देती है।
प्रश्न ये है कि इंजन बंद करनी की चाबी है, बिजली का स्विच है, नल की टोंटी है, पर दिमाग का कौनसा बटन है? अदृश्य बटन आपके विचार ही हैं और इन विचारों को विराम देने की कुंजी सिवाय ध्यान के और कुछ नहीं। ध्यान का मतलब है निर्विचारता को प्राप्त होना। इसकी कई विधियां कई ज्ञानियों ने कही हैं और ध्यानियों के कई अनुभव भी हैं। कुछ ज्योति पुंज में, कुछ ईश्वर के विभिन्न स्वरूपों में ध्यान लगाते हैं। उत्तम ध्यान की अवस्था है अनहद नाद को सुनना और हर ध्यानी के ध्यान का चरम यही ब्रह्मनाद ओंकार है। drpsawakening@gmail.com


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