ध्यानी नाम का लड़का एक भयानक जंगल मे भटक गया था
और वो बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहा था। कई दिनों की मेहनत के बाद उसने रास्ता
ढूंढ निकाला। वो जहां जहां से गुजरा वहां कुछ निशान बनाता चला गया ताकि इस
भूलभुलैया जंगल में दोबारा भटकने पर भी रास्ता याद रहे। रास्ता ढूंढने के दौरान वो
एक ऐसी खतरनाक जगह पर भी पहुंचा जहां घनी झाड़ियों के बीच एक गहरा दल दल था। उस
लड़के को याद था कि उस दलदल में अगर वो जरा और फंस जाता तो कभी जीवित इस जंगल से
बाहर नहीं जा पाता। उसे इस बात की भी चिंता थी कि वो तो किस्मत वाला था सो बच गया
लेकिन कई और लोग भी इस तरह भटक सकते हैं या भटके होंगे जो शायद इतने चौकन्ने नहीं
रहे होंगे। एक झटके में ही ऐसे कई अनभिज्ञ लोग झाड़ियों में छिपे इस दल दल में समा
गए होंगे। उसने चेतावनी के तौर पर यहां कुछ लिख देने की ठानी। लिखने के लिए उसने अपने
कपड़े को कागज बनाने की बात सोची और पेड़ पौधों फलों आदि से स्याही बनाने का दिमाग
लगाया। अभी वो इस तैयारी में लगा ही था कि तीन लोग और भटकते हुए वहां पहुंच गए। ये
शायद अभी अभी भटके थे क्यूंकि उनके कपड़े और हालत उतनी गंदी नहीं थी जितनी रास्ता
खोज चुके ध्यानी की थी। वे तीनों उसी तरफ बढ़ने लगे जिस तरफ दलदल था। ध्यानी ने
जोर से चिल्ला कर उन्हें चेताया कि कुछ ही कदम पर भयानक दलदल है, एक दो कदम और
बढ़े तो निश्चित ही मौत है। ध्यानी ने कहा मैं वो रास्ता जानता हूं जो तुम्हें
जंगल से बाहर ले जाएगा। तीनों ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा चेतावनी लिखने के लिए
अपने कपड़े तक उतार चुके ध्यानी को उन लोगों ने पागल समझा। हांलाकि इनमें से एक जो
थोड़ा डरा हुआ था वो उसकी बात सुनकर ठिठक गया। बाकी दो उसके लाख मना करने पर भी
आगे बढ़े और दलदल में समा गए। ध्यानी रोता पीटता रहा पर अब कुछ नहीं हो सकता था।
जो एक व्यक्ति ध्यानी की बात मानकर रुक गया था उसने ध्यानी के पैर पकड़ लिए और कहा
कि यहां रुककर किसी को लाख समझाओगे तो भी कोई नहीं मानेगा। ध्यानी ने उसकी तरफ देख
और एक उम्मीद बंधी। उसने कहा तुमने तो मेरी बात सुनी तुम तो बच गए। उसने अपनी
चेतावनी यहां बांधने के कार्य को जारी रखा। उसके मन में ये बात तो आ गई थी कि जो
चेतावनी को सच मानेगा वो तो कम से कम बच जाएगा। बाकि सबका अपना विवेक और ईश्वर
इच्छा है। ये मेरी ही रची एक काल्पनिक कहानी है। ये सुनते ही उस दलदल का डर आपके
मन से निकल गया होगा लेकिन जरा ध्यान दीजिए क्या हम सभी ऐसे ही एक जंगल में नहीं
भटक रहे हैं। इस असत माया रूप जंगल से बाहर निकलने का रास्ता कई ध्यानियों ने खोजा
है। इसके बारे में वे कई चेतावनियां लिख चुके हैं। कुछ तो आज भी ध्यानी की तरह
चिल्ला चिल्ला कर लोगों को दलदल में धंसने से रोकने की कोशिश में चिल्लाते रहते
हैं। कुछ हैं जो उस बचे हुए एक शख्स कि तरह किसी संशय या अपने डर से ठिठक जाते हैं।
रास्ता हम सब खोज सकते हैं बशर्ते चेतावनियों का ध्यान रखें। कई ज्ञानी अपनी बातों
को लिख गए हैं उनके महान शब्दों को कपड़े में लपेटकर पूजा घर में रखने वाले भी उसी
दलदल की ओर बढ़ते है। उन्हें पढ़िए और समझिए कि सत्य क्या है। समझ में नहीं आता तो
उनके पास जाइए जिन्होंने रास्ता खोज लिया है। drpsawakening@gmail.com
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